A2Z सभी खबर सभी जिले कीअन्य खबरेछत्तीसगढ़बलौदा बाजारमहासमुंदरायगढ़रायपुर

केवटिन देऊल महादेव मंदिर :आधे-अधूरे निर्माण में छिपी दिव्याता की रहस्यगाथा…..

जहाँ शिवलिंग पर जल चढ़ता है पर भरता नहीं, कुआँ, कभी सूखता नहीं और कभी हुआ करता था स्वर्ण वर्षा....

वन्दे भारत लाइव टीवी न्यूज़ डिस्ट्रिक्ट हेड चित्रसेन घृतलहरे (पेंड्रावन )सारंगढ़-बिलाईगढ़ 19 जुलाई  2025//सरिया नगर पंचायत की सीमा पर स्थित ग्राम पुजेरीपाली और पंचधार के मिलन बिंदु पर एक रहस्यमयी और आस्था से परिपूर्ण मंदिर स्थित है – केवटिन देऊल महादेव मंदिर। यह मंदिर न केवल अपनी पुरातन धार्मिक मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसकी अधूरी संरचना और उससे जुड़ी जनश्रुतियाँ भी लोगों में गहन आकर्षण का विषय हैं।

रात्रि में निर्मित होना था मंदिर, केवटिन के उठने से अधूरा रह गया
स्थानीय जनश्रुति के अनुसार इस मंदिर का निर्माण शिल्पी विश्वकर्मा देव द्वारा एक ही रात में पूर्ण किया जाना था। किंवदंती है कि निर्माण पूर्ण होने से पहले ही एक केवटिन (केवट जाति की महिला) ब्रह्ममुहूर्त में उठकर ढेंकी से धान कूटने लगी। उसकी आवाज सुनते ही गाँव के लोग जाग गए, और मंदिर निर्माण कार्य अधूरा छोड़ दिया गया। इसी कारण इस मंदिर को “केवटिन देऊल” के नाम से जाना जाता है।

पाताल से जुड़ा माना जाता है शिवलिंग, नहीं भरता जल
मंदिर के गर्भगृह में स्थित शिवलिंग के बारे में मान्यता है कि वह पाताल से जुड़ा हुआ है। श्रद्धालु वर्षों से जलाभिषेक करते हैं, लेकिन आज तक जल भराव नहीं हो पाया है। मंदिर परिसर में स्थित प्राचीन कुआँ भी कभी नहीं सूखता, चाहे मौसम कैसा भी हो।

प्राचीन नागर स्थापत्य की अनूठी मिसाल
पूर्वमुखी इस मंदिर की संरचना में गर्भगृह, अंतराल और एक आधुनिक मुख-मंडप है। मंदिर का विमान पंच-रथ शैली में है, जिसमें ओडिशा के मंदिरों का स्थापत्य प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है। मंदिर के विभिन्न हिस्सों में चंद्रशाला, कलश, कुंभ आदि की शिल्पकारी देखने योग्य है। यह नागर शैली के ‘लैटिना’ रूप का उत्तम उदाहरण है, जिसमें छह भूमियाँ हैं और प्रत्येक पर अमलक अलंकरण मौजूद है।

स्वर्ण वर्षा की जनश्रुति, टिकरा क्षेत्र में मिले थे सोने के टुकड़े
पुजेरीपाली ग्रामवासियों के अनुसार, अतीत में टिकरा क्षेत्र में खेती के दौरान खुदाई में सोने के टुकड़े प्राप्त हुए थे। उड़द, मूंगफली जैसे फसलों के लिए की गई खुदाई में कई बार स्वर्ण कणों की प्राप्ति की बात ग्रामीणों ने स्वीकार की है। इसे वे ‘स्वर्ण वर्षा’ की घटना के रूप में आज भी स्मरण करते हैं।

पर्यटन और पुरातत्त्व की दृष्टि से महत्वपूर्ण
केवटिन देऊल न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि अपनी स्थापत्य कला, इतिहास और लोककथाओं के कारण पुरातत्त्व तथा पर्यटन के दृष्टिकोण से भी विशेष महत्व रखता है। प्रशासनिक संरक्षण और प्रचार-प्रसार से यह स्थल प्रदेश के प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थलों में स्थान पा सकता है।

Check Also
Close
Back to top button
error: Content is protected !!